वेल्डिंग का सफर: प्राचीन युग से आधुनिक तकनीक तक
वेल्डिंग केवल धातु जोड़ने की प्रक्रिया नहीं है—यह तकनीकी विकास, युद्धों की आवश्यकता और औद्योगिक क्रांति का भी प्रतिबिंब है। आइए वेल्डिंग की यात्रा को समयरेखा के माध्यम से समझें।
🛕 प्राचीन युग: जब शुरू हुई धातुओं को जोड़ने की कला
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कांस्य युग (लगभग 3000 ईसा पूर्व): इस काल में लोग सोने की छोटी डिब्बियों को लैप-जॉइंट तकनीक से जोड़ते थे।
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लौह युग (लगभग 1400 ईसा पूर्व): मिस्र और भूमध्यसागरीय क्षेत्र के लोग लोहे को गर्म करके जोड़ने लगे। 1000 ईसा पूर्व के औज़ारों में वेल्डिंग के शुरुआती संकेत मिलते हैं।
🏰 मध्य युग: लोहार और हथौड़े की ताकत
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यह समय हथौड़ा वेल्डिंग का था, जहाँ धातु को गर्म कर हथौड़े से जोड़ा जाता था।
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यह पारंपरिक तरीका वेल्डिंग के आधुनिक स्वरूप की नींव बन गया।
⚡ 19वीं सदी: आधुनिक वेल्डिंग का जन्म
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1809: सर हम्फ्री डेवी ने इलेक्ट्रिक आर्क उत्पन्न किया।
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1836: एडमंड डेवी ने एसीटिलीन गैस की खोज की।
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1881-1887: फ्रांस और रूस के वैज्ञानिकों ने आर्क वेल्डिंग के लिए पेटेंट प्राप्त किए।
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1890: सी.एल. कॉफिन ने मेटल इलेक्ट्रोड से वेल्डिंग का पेटेंट कराया, जिससे भराव धातु वेल्ड में सीधे प्रवाहित हुई।
🌍 20वीं सदी की शुरुआत: वेल्डिंग का विस्फोटक विकास
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1900-1914: कोटेड और स्टिक इलेक्ट्रोड का विकास हुआ।
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1914-1918: प्रथम विश्व युद्ध ने वेल्डिंग तकनीकों की मांग और नवाचार को गति दी।
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1919: अमेरिकन वेल्डिंग सोसाइटी की स्थापना हुई।
🔧 मध्य 20वीं सदी: युद्ध और उन्नत तकनीकें
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1920: ऑटोमैटिक वेल्डिंग की शुरुआत।
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1929-1930: भारी-कोटेड इलेक्ट्रोड और स्टड वेल्डिंग सामने आई।
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1938: सबमर्ज्ड आर्क वेल्डिंग (SAW) को “Unionmelt” के नाम से लोकप्रियता मिली।
🔥 द्वितीय विश्व युद्ध और नई खोजें
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1941: हेलीआर्क वेल्डिंग (GTAW) विकसित हुई।
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1948: GMAW तकनीक में वायर फीडिंग और गैस शील्डिंग का समावेश हुआ।
💡 देर 20वीं सदी: विविध प्रक्रियाओं की शुरुआत
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1953: CO₂ वेल्डिंग से कम लागत में स्टील की वेल्डिंग संभव हुई।
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1954-1959: Dualshield और Innershield® प्रक्रियाएं आईं।
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1958-1961: इलेक्ट्रोस्लैग और इलेक्ट्रोगैस वेल्डिंग विकसित हुईं।
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1957: प्लाज़्मा आर्क वेल्डिंग और इलेक्ट्रॉन बीम वेल्डिंग का भी प्रदर्शन हुआ।
🚀 आधुनिक युग: लेज़र और इनर्शिया वेल्डिंग का दौर
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इनर्शिया वेल्डिंग: सोवियत संघ में विकसित यह तकनीक फ्लाईव्हील की ऊर्जा से वेल्डिंग करती है।
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लेज़र वेल्डिंग: 1960 में बेल लैब्स ने लेज़र बनाया, जिससे हाई-प्रिसिशन वेल्डिंग संभव हुई। आज यह ऑटोमोबाइल उद्योग में व्यापक रूप से उपयोग की जा रही है।